Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
बीजेपी लंबे समय से 'एक देश-एक चुनाव' चाहती है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका जिक्र कर चुके हैं। वह एक देश-एक चुनाव को भारत की जरूरत बता चुके हैं। 'इंडिया टुडे' ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि आगामी विशेष सत्र में मोदी सरकार वन नेशन-वन इलेक्शन पर बिल संसद में ला सकती है।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है, जिसमें पांच बैठकें होंगी। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार को सोशल मीडिया साइट एक्स पर यह जानकारी दी। इसके बाद यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि विशेष सत्र के दौरान मोदी सरकार कोई अहम बिल ला सकती है। सूत्रों के अनुसार, पांच दिनों तक चलने वाले संसद के विशेष सत्र में केंद्र सरकार 'एक देश-एक चुनाव' बिल लाने की तैयारी में है।
बीजेपी लंबे समय से 'एक देश-एक चुनाव' चाहती है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका जिक्र कर चुके हैं। वह एक देश-एक चुनाव को भारत की जरूरत बता चुके हैं। 'इंडिया टुडे' ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि आगामी विशेष सत्र में मोदी सरकार वन नेशन-वन इलेक्शन पर बिल संसद में ला सकती है। अगर ऐसा होता है तो संसद में एक बार फिर से सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी का माहौल देखने को मिल सकता है।
एक देश-एक चुनाव पर विधि आयोग भी काफी सक्रिय है। इस साल की शुरुआत में उसने विभिन्न राजनैतिक दलों से जवाब भी मांगे थे। आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान समेत कई राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उससे पहले यदि सरकार यह बिल लेकर आती है तो यकीनन बड़ा कदम माना जाएगा। इस पर कांग्रेस समेत विपक्षी दल इसका विरोध भी कर सकते हैं। एक देश-एक चुनाव तहत लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक ही साथ होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार एक देश-एक चुनाव का जिक्र कर चुके हैं। वे एक साथ चुनाव करवाने के पक्षधर रहे हैं। कुछ साल पहले उन्होंने इसको लेकर सर्वदलीय बैठक भी बुलाई थी। हालांकि, तब भी राजनैतिक दलों की राय अलग-अलग थी। पीएम मोदी का एक देश-एक चुनाव करवाने के पीछे तर्क यह है कि इससे न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि देश का पैसा भी बचेगा। मालूम हो कि देश में हर साल कई विधानसभा चुनाव होते हैं। इसके अलावा, हर पांच सालों में लोकसभा चुनाव करवाए जाते हैं। ऐसे में बीजेपी का तर्क है कि यदि इन चुनावों को एक साथ करवाया जाता है तो पैसे और समय की बचत होगी।